भुजंग आसन

ভুজঙ্গাসন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। ভুজঙ্গ-এর অনেক সমার্থের ভিতর একটি অর্থ হলো সাপ। এই আসনের দেহ ভঙ্গিমা সাপের মতো দেখায় বলে এর নামকরণ করা হয়েছে ভুজঙ্গাসন (ভুজঙ্গ +আসন)। এর বর্ধিত প্রকরণ পূর্ণ-ভূজঙ্গাসন।

পদ্ধতি
১. কোন সমতল স্থানে উপুর হয়ে শুয়ে পড়ুন। পায়ের দুই পাতা ও গোড়ালি জোড়া থাকবে।
২. দুই হাতের কনুই থেকে ভাঁজ করে শরীরের বক্ষের দুই পাশে স্থাপন করতে হবে। এই সময় হাতের তালু মাটির দিকে ফেরানো থাকবে।
৩. এবার দুই হাতে ভর দিয়ে মাথাসহ শরীরের উর্ধাংশ ধীরে ধীরে উপরে তুলুন। এবার হাত দুটো আলগা করে দিয়ে পেটের উপর ভর দিয়ে শরীরকে উর্ধমুখী করে ৩০ সেকেণ্ড অবস্থান করুন। এই সময় শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিক থাকবে।
৪. ৩০ সেকেণ্ড পর আসন ত্যাগ করে, শবাসনে বিশ্রাম নিন। এরপর আরও দুইবার আসনটি করুন।
  
উপকারিতা
১. মেরুদণ্ডের নমনীয়তা বৃদ্ধি পায়। মেরুদণ্ডের বাত দূর হয়।
২. কোমরের বাত ও ব্যথার উপশম হয়।
৩. পিঠ ও কোমরের পেশি মজবুত হয়।
৪. মেয়েদের ঋতুস্রাবের ব্যাথা ও অনিয়ম দূর হয়।
৫. যকৃত, প্লীহার কর্মক্ষমতা বৃদ্ধি পায়।
৬. অজীর্ণ, কোষ্ঠকাঠিন্যের উপশম হয়।
৭. উচ্চ-রক্তচাপের রোগীদের জন্য এই আসন অত্যন্ত সুফল প্রদান করে থাকে।

 


भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

भुजंगासन के लाभ

  1. भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से कमर की मासपेशियाँ मजबूत होती है ।यह आसन  सक्रिय और उर्जावान बनाता है.। मेरूदंड के लिए बहुत लाभकारी है ।तंत्रिका तंत्र को सुचारू बनाये रखने के लिए भी यह आसन बहुत ही  ज़रूरी है । फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है।
    बालक- बालिकाओं के लिए बहुत लाभदायक है।पाचन तंत्र मजबूत करता है। खाँसी और दमे के रोगिओं को भी लाभ देता है ।शुगर नियंत्रित करता है।पेट की चर्बी को कम करता है। क़ब्ज़ में भी लाभदायक है।मधुमेह से बचाता है भुजंगासन : भुजंगासन पैंक्रियाज को सक्रिय करता है और सही मात्रा में इन्सुलिन के बनने में मदद करता है।
  2. शरीर को सुडौल बनाता है भुजंगासन: यह शरीर को सुडौल एवं खूबसूरत बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह योगाभ्यास सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव ले कर आता है और यही नहीं शरीर के अतरिक्त चर्बी को पिघालने में बहुत मददगार है।
  3. भुजंगासन पेट की चर्बी कम करने के लिए : अगर इस योग को विशेषज्ञ के सामने किया जाए तो निश्चित रूप से शरीर का वजन कम होगा और आप मोटापा से नजात पा सकते हैं। इसके लिए चाहिये आप ज़्यदा से ज़्यदा खिंचाव पेट के हिस्से में लें और जहाँ तक भी हो सके इस अभ्यास को अधिक समय तक धारण करें। शीघ्र परिणाम के लिए प्रबल भुजंगासन करनी चाहिए जिसमें आप अपने शरीर को पूरी तरह से हथेली एवं पैर की अंगुली पर ले लेते हैं।
  4. भुजंगासन कमर दर्द कम करने के लिए : अगर इस आसान को ठीक तरह से किया जाए तो कमर दर्द में बहुत ज़्यदा राहत मिलती है। इसे नियमित रूप से किया जाए तो हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द से नजात मिल सकता है।
  5. भुजंगासन अस्थमा के लिए: यह योगभ्यास अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। इससे फेफड़े में खिंचाव आता है और फेफड़े में ऑक्सीजन की प्रवेश क्षमता बढ़ जाती है।
  6. भुजंगासन स्त्री रोग के लिए: नियमित रूप से इस योगभ्यास को करने से बहुत सारी स्त्री रोगों जैसे सिफिलिस, गोनोरिया इत्यादि से बच सकते हैं।
  7. भुजंगासन थाइरोइड के लिए: जब आप इस आसान को करतें हैं और अभ्यास क्रम में यदि छत को देखते हैं तो गर्दन वाले हिस्से में अच्छा खासा खिंचाव आता है जो थाइरॉइड एवं पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करने में मददगार है और थाइरोइड जैसी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
  8. भुजंगासन स्लिप डिस्क के लिए: अगर इस योग को सही तरह से अभ्यास किया जाए तो स्लिप् डिस्क जैसी समस्याओं से नजात मिल सकती है।
  9. भुजंगासन पाचन के लिए: यह आसन आमासय रस के स्राव में मददगार है और बहुत सारी परेशानियों जैसे कब्ज, अपच, गैस, अम्लीयता आदि से बचाता है। यह आप की पाचन सकती को सुदृढ़ एवं प्रबल भी बनाता है ।
  10. भुजंगासन तनाव मुक्त के लिए: यह आसान एड्रेनैलिन ग्रंथि को प्रभावित करता है और एड्रेनैलिन हॉर्मोन के स्राव में मदद करता है और इस तरह से तनाव, चिंता, डिप्रेशन इत्यादि को कम करने में मदद करता है

सावधानियां- स्लिप डिस्क के रोगी यह आसन न करे।

 

ভুজঙ্গাসন

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Pooja Thu, 17/Jun/2021 - 12:26

 

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ভুজঙ্গাসন

भुजंग आसन

ভুজঙ্গাসন

যোগশাস্ত্রে বর্ণিত আসন বিশেষ। ভুজঙ্গ-এর অনেক সমার্থের ভিতর একটি অর্থ হলো সাপ। এই আসনের দেহ ভঙ্গিমা সাপের মতো দেখায় বলে এর নামকরণ করা হয়েছে ভুজঙ্গাসন (ভুজঙ্গ +আসন)। এর বর্ধিত প্রকরণ পূর্ণ-ভূজঙ্গাসন।

পদ্ধতি
১. কোন সমতল স্থানে উপুর হয়ে শুয়ে পড়ুন। পায়ের দুই পাতা ও গোড়ালি জোড়া থাকবে।
২. দুই হাতের কনুই থেকে ভাঁজ করে শরীরের বক্ষের দুই পাশে স্থাপন করতে হবে। এই সময় হাতের তালু মাটির দিকে ফেরানো থাকবে।
৩. এবার দুই হাতে ভর দিয়ে মাথাসহ শরীরের উর্ধাংশ ধীরে ধীরে উপরে তুলুন। এবার হাত দুটো আলগা করে দিয়ে পেটের উপর ভর দিয়ে শরীরকে উর্ধমুখী করে ৩০ সেকেণ্ড অবস্থান করুন। এই সময় শ্বাস-প্রশ্বাস স্বাভাবিক থাকবে।
৪. ৩০ সেকেণ্ড পর আসন ত্যাগ করে, শবাসনে বিশ্রাম নিন। এরপর আরও দুইবার আসনটি করুন।
  
উপকারিতা
১. মেরুদণ্ডের নমনীয়তা বৃদ্ধি পায়। মেরুদণ্ডের বাত দূর হয়।
২. কোমরের বাত ও ব্যথার উপশম হয়।
৩. পিঠ ও কোমরের পেশি মজবুত হয়।
৪. মেয়েদের ঋতুস্রাবের ব্যাথা ও অনিয়ম দূর হয়।
৫. যকৃত, প্লীহার কর্মক্ষমতা বৃদ্ধি পায়।
৬. অজীর্ণ, কোষ্ঠকাঠিন্যের উপশম হয়।
৭. উচ্চ-রক্তচাপের রোগীদের জন্য এই আসন অত্যন্ত সুফল প্রদান করে থাকে।

 


भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

भुजंगासन के लाभ

  1. भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से कमर की मासपेशियाँ मजबूत होती है ।यह आसन  सक्रिय और उर्जावान बनाता है.। मेरूदंड के लिए बहुत लाभकारी है ।तंत्रिका तंत्र को सुचारू बनाये रखने के लिए भी यह आसन बहुत ही  ज़रूरी है । फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है।
    बालक- बालिकाओं के लिए बहुत लाभदायक है।पाचन तंत्र मजबूत करता है। खाँसी और दमे के रोगिओं को भी लाभ देता है ।शुगर नियंत्रित करता है।पेट की चर्बी को कम करता है। क़ब्ज़ में भी लाभदायक है।मधुमेह से बचाता है भुजंगासन : भुजंगासन पैंक्रियाज को सक्रिय करता है और सही मात्रा में इन्सुलिन के बनने में मदद करता है।
  2. शरीर को सुडौल बनाता है भुजंगासन: यह शरीर को सुडौल एवं खूबसूरत बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह योगाभ्यास सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव ले कर आता है और यही नहीं शरीर के अतरिक्त चर्बी को पिघालने में बहुत मददगार है।
  3. भुजंगासन पेट की चर्बी कम करने के लिए : अगर इस योग को विशेषज्ञ के सामने किया जाए तो निश्चित रूप से शरीर का वजन कम होगा और आप मोटापा से नजात पा सकते हैं। इसके लिए चाहिये आप ज़्यदा से ज़्यदा खिंचाव पेट के हिस्से में लें और जहाँ तक भी हो सके इस अभ्यास को अधिक समय तक धारण करें। शीघ्र परिणाम के लिए प्रबल भुजंगासन करनी चाहिए जिसमें आप अपने शरीर को पूरी तरह से हथेली एवं पैर की अंगुली पर ले लेते हैं।
  4. भुजंगासन कमर दर्द कम करने के लिए : अगर इस आसान को ठीक तरह से किया जाए तो कमर दर्द में बहुत ज़्यदा राहत मिलती है। इसे नियमित रूप से किया जाए तो हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द से नजात मिल सकता है।
  5. भुजंगासन अस्थमा के लिए: यह योगभ्यास अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। इससे फेफड़े में खिंचाव आता है और फेफड़े में ऑक्सीजन की प्रवेश क्षमता बढ़ जाती है।
  6. भुजंगासन स्त्री रोग के लिए: नियमित रूप से इस योगभ्यास को करने से बहुत सारी स्त्री रोगों जैसे सिफिलिस, गोनोरिया इत्यादि से बच सकते हैं।
  7. भुजंगासन थाइरोइड के लिए: जब आप इस आसान को करतें हैं और अभ्यास क्रम में यदि छत को देखते हैं तो गर्दन वाले हिस्से में अच्छा खासा खिंचाव आता है जो थाइरॉइड एवं पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करने में मददगार है और थाइरोइड जैसी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
  8. भुजंगासन स्लिप डिस्क के लिए: अगर इस योग को सही तरह से अभ्यास किया जाए तो स्लिप् डिस्क जैसी समस्याओं से नजात मिल सकती है।
  9. भुजंगासन पाचन के लिए: यह आसन आमासय रस के स्राव में मददगार है और बहुत सारी परेशानियों जैसे कब्ज, अपच, गैस, अम्लीयता आदि से बचाता है। यह आप की पाचन सकती को सुदृढ़ एवं प्रबल भी बनाता है ।
  10. भुजंगासन तनाव मुक्त के लिए: यह आसान एड्रेनैलिन ग्रंथि को प्रभावित करता है और एड्रेनैलिन हॉर्मोन के स्राव में मदद करता है और इस तरह से तनाव, चिंता, डिप्रेशन इत्यादि को कम करने में मदद करता है

सावधानियां- स्लिप डिस्क के रोगी यह आसन न करे।

 

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ഭുജംഗാസനം

भुजंग आसन

കമിഴ്ന്നു കിടന്ന് കൈകളും കാലുകളും ശരീരത്തോടു ചേര്‍ത്തു വയ്ക്കുക.നെറ്റിയും മൂക്കും നിലത്തു മുട്ടിയിരിക്കണം. ഉപ്പൂറ്റികള്‍ പിന്നിലേക്കു നീണ്ട് മലര്‍ന്നിരിക്കണം.ഇനി കൈപ്പത്തികള്‍ തോളിനടിയില്‍ നിലത്തു പതിച്ചു വയ്ക്കുക. കീഴ്താടി നിലത്തു മുട്ടിയിരിക്കണം.സാവധാനം ശ്വാസം എടുത്ത ശേഷം കൈകള്‍ നിലത്ത് ബലമായി അമര്‍ത്താതെ തോളും തലയും നിലത്തു നിന്നുയര്‍ത്തി തല കഴിയുന്നത്ര പിന്നോട്ടു വളച്ച് മുകളിലേക്കു നോക്കുക.ഇനി കൈകള്‍ നിലത്തൂന്നി പൊക്കിള്‍ വരെയുള്ള ശരീരഭാഗം നിലത്തുനിന്നുയര്‍ത്തുക.അല്പനേരം അങ്ങനെ നിന്ന ശെഷം മെല്ലെ താഴേക്കു കൊണ്ടു വന്ന് ദീര്‍ഘമായി ശ്വസിക്കുക.ഗുണംകഴുത്തു മുതല്‍ അരക്കെട്ടു വരെ എല്ലാ കശെരുക്കളേയും പേശികളേയും വലിക്കുകയും അയയ്ക്കുകയും ചെയ്യുന്നു.ശ്വാസകോശത്തിന്റെ വികാസം കൂട്ടുന്നു. രക്ത ചംക്രമണം കൂടുന്നു.എല്ലാ അന്തസ്രാവി ഗ്രന്ഥികളുടെയും പ്രവര്‍ത്തനം മെച്ചപ്പെടുത്തുന്നു.ദഹനശക്തി വര്‍ദ്ധിപ്പിക്കുന്നു; ആര്‍ത്തവ പ്രശ്നങ്ങള്‍ പരിഹരിക്കുന്നു.


भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

भुजंगासन के लाभ

  1. भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से कमर की मासपेशियाँ मजबूत होती है ।यह आसन  सक्रिय और उर्जावान बनाता है.। मेरूदंड के लिए बहुत लाभकारी है ।तंत्रिका तंत्र को सुचारू बनाये रखने के लिए भी यह आसन बहुत ही  ज़रूरी है । फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है।
    बालक- बालिकाओं के लिए बहुत लाभदायक है।पाचन तंत्र मजबूत करता है। खाँसी और दमे के रोगिओं को भी लाभ देता है ।शुगर नियंत्रित करता है।पेट की चर्बी को कम करता है। क़ब्ज़ में भी लाभदायक है।मधुमेह से बचाता है भुजंगासन : भुजंगासन पैंक्रियाज को सक्रिय करता है और सही मात्रा में इन्सुलिन के बनने में मदद करता है।
  2. शरीर को सुडौल बनाता है भुजंगासन: यह शरीर को सुडौल एवं खूबसूरत बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह योगाभ्यास सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव ले कर आता है और यही नहीं शरीर के अतरिक्त चर्बी को पिघालने में बहुत मददगार है।
  3. भुजंगासन पेट की चर्बी कम करने के लिए : अगर इस योग को विशेषज्ञ के सामने किया जाए तो निश्चित रूप से शरीर का वजन कम होगा और आप मोटापा से नजात पा सकते हैं। इसके लिए चाहिये आप ज़्यदा से ज़्यदा खिंचाव पेट के हिस्से में लें और जहाँ तक भी हो सके इस अभ्यास को अधिक समय तक धारण करें। शीघ्र परिणाम के लिए प्रबल भुजंगासन करनी चाहिए जिसमें आप अपने शरीर को पूरी तरह से हथेली एवं पैर की अंगुली पर ले लेते हैं।
  4. भुजंगासन कमर दर्द कम करने के लिए : अगर इस आसान को ठीक तरह से किया जाए तो कमर दर्द में बहुत ज़्यदा राहत मिलती है। इसे नियमित रूप से किया जाए तो हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द से नजात मिल सकता है।
  5. भुजंगासन अस्थमा के लिए: यह योगभ्यास अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। इससे फेफड़े में खिंचाव आता है और फेफड़े में ऑक्सीजन की प्रवेश क्षमता बढ़ जाती है।
  6. भुजंगासन स्त्री रोग के लिए: नियमित रूप से इस योगभ्यास को करने से बहुत सारी स्त्री रोगों जैसे सिफिलिस, गोनोरिया इत्यादि से बच सकते हैं।
  7. भुजंगासन थाइरोइड के लिए: जब आप इस आसान को करतें हैं और अभ्यास क्रम में यदि छत को देखते हैं तो गर्दन वाले हिस्से में अच्छा खासा खिंचाव आता है जो थाइरॉइड एवं पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करने में मददगार है और थाइरोइड जैसी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
  8. भुजंगासन स्लिप डिस्क के लिए: अगर इस योग को सही तरह से अभ्यास किया जाए तो स्लिप् डिस्क जैसी समस्याओं से नजात मिल सकती है।
  9. भुजंगासन पाचन के लिए: यह आसन आमासय रस के स्राव में मददगार है और बहुत सारी परेशानियों जैसे कब्ज, अपच, गैस, अम्लीयता आदि से बचाता है। यह आप की पाचन सकती को सुदृढ़ एवं प्रबल भी बनाता है ।
  10. भुजंगासन तनाव मुक्त के लिए: यह आसान एड्रेनैलिन ग्रंथि को प्रभावित करता है और एड्रेनैलिन हॉर्मोन के स्राव में मदद करता है और इस तरह से तनाव, चिंता, डिप्रेशन इत्यादि को कम करने में मदद करता है

सावधानियां- स्लिप डिस्क के रोगी यह आसन न करे।

 

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ભુજંગાસન

भुजंग आसन

ભુજંગાસન : ભુજંગ એટલે સાપ. આ આસનમાં શરીરનો આકાર સર્પ જેવો થતો હોવાથી તેને ભુજંગાસન કહેવામાં આવે છે. આ ઉપરાંત આ આસનને સર્પાસન પણ કહે છે.

મૂળ સ્થિતિ : પેટ પર તણાવમુક્ત સ્થિતિમાં એટલે કે ઊંધા સૂઈ જવું.

પદ્ધતિ :

  • સૌ પ્રથમ ઊંધા સૂઈ જાઓ.
  • બન્ને હાથને કોણીમાંથી વાળી હથેળીને છાતીની બાજુ પર જમીન ઉપર ગોઠવો.
  • હાથના આંગળાં આગળની તરફ અને બન્ને પગના પંજા પાછળની તરફ ખેંચાયેલા રાખો.
  • બન્ને પગ ભેગા રાખો, કપાળ તથા દાઢી સામેની દિશામાં અને દાઢી જમીનને અડકેલી રાખવી.
  • હવે હાથની હઠેળીના ટેકા વડે માથું ઉપર તરફ ઉઠાવો.
  • ખભા તથા છાતીના ભાગને ઉપરની તરફ શ્વાસ લેતાં લેતાં લઈ જાઓ.
  • નાભિને જમીન સાથે અડાડેલી રાખીને કરોડને શક્ય તેટલો પાછળ વળાંક આપો.
  • શરૂઆતમાં 30 સેકન્ડ સુધી આ સ્થિતિમાં રહો.
  • થોડીવાર આ સ્થિતિમાં રહ્યા પછી ધીમે ધીમે મૂળ સ્થિતિમાં આવો.

ધ્યાનમાં રાખવાની બાબતો :

  • આ આસન ખૂબ જ ધીમેથી કરવું.
  • જોર કરીને કે આંચકા મારીને કરોડ વાળવી નહિ.
  • આ આસન કરતી વખતે એકદમ પાછળની તરફ ખુબ વળવું નહીં.
  • ચહેરા કે પગના સ્નાયુઓને તાણપૂર્વક ન ખેંચો.
  • જે કોઇ વ્યક્તિને પેટમાં દુખાવો હોય અથવા પીઠમાં વધારે પડતો દુખાવો હોય તેમને આ આસન કરવું નહીં.
  • સગર્ભા સ્ત્રીઓએ આ આસન ન કરવું.

ફાયદા :

  • પીઠના દુઃખાવામાં આ આસન ખૂબ જ લાભદાયી છે.
  • પેટના અવયવો અને આંતરડાંને વ્યાયામ મળે છે.
  • પેટના સ્નાયુઓ વધુ કાર્યક્ષમ બને છે.
  • આંતરડા અને ફેફ્સાને મજબૂત કરે છે.
  • જ્ઞાનતંતુનું સ્વાસ્થ્ય વધારે છે.
  • કરોડ વધુ સ્થિતિસ્થાપક બને છે.
  • કબજિયાત દૂર થાય છે અને શરીર સુડોળ બને છે.
  • છાતી, ખભા, ગરદન અને માથાના ભાગોના વિકાસ માટે આ આસન ખૂબ જ લાભદાયી છે.
  • આ આસનથી લોહિનું પરિભ્રમણ સુધરતાં મૂત્રપિંડની કાર્યક્ષમતા વધે છે.
  • જમ્યા પછી પેટમાં વાયુ થતો હોય તો આ આસનથી અટકે છે.
  • શ્વસનતંત્ર વધુ કાર્યક્ષમ બને છે તથા હૃદય બળવાન બને છે.
  • બહેનોને માસિક સંબંધી ફરિયાદો દૂર થાય છે.
  • આ આસનથી અતિ શ્રમ અને થાકને કારણે થતો બરડાનો દુખાવામાં રાહત મળે છે.
  • મગજમાંથી નીકળતા જ્ઞાનતંતુઓ બળવાન બને છે.
  • કફ, પિત્ત પ્રકૃતિના લોકો માટે આ આસન હિતકર છે.
  • થાક અને તણાવ ઓછા કરે છે.
  • આ આસનથી પેટની ચરબી ઓછી થાય છે

 


भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

भुजंगासन के लाभ

  1. भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से कमर की मासपेशियाँ मजबूत होती है ।यह आसन  सक्रिय और उर्जावान बनाता है.। मेरूदंड के लिए बहुत लाभकारी है ।तंत्रिका तंत्र को सुचारू बनाये रखने के लिए भी यह आसन बहुत ही  ज़रूरी है । फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है।
    बालक- बालिकाओं के लिए बहुत लाभदायक है।पाचन तंत्र मजबूत करता है। खाँसी और दमे के रोगिओं को भी लाभ देता है ।शुगर नियंत्रित करता है।पेट की चर्बी को कम करता है। क़ब्ज़ में भी लाभदायक है।मधुमेह से बचाता है भुजंगासन : भुजंगासन पैंक्रियाज को सक्रिय करता है और सही मात्रा में इन्सुलिन के बनने में मदद करता है।
  2. शरीर को सुडौल बनाता है भुजंगासन: यह शरीर को सुडौल एवं खूबसूरत बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह योगाभ्यास सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव ले कर आता है और यही नहीं शरीर के अतरिक्त चर्बी को पिघालने में बहुत मददगार है।
  3. भुजंगासन पेट की चर्बी कम करने के लिए : अगर इस योग को विशेषज्ञ के सामने किया जाए तो निश्चित रूप से शरीर का वजन कम होगा और आप मोटापा से नजात पा सकते हैं। इसके लिए चाहिये आप ज़्यदा से ज़्यदा खिंचाव पेट के हिस्से में लें और जहाँ तक भी हो सके इस अभ्यास को अधिक समय तक धारण करें। शीघ्र परिणाम के लिए प्रबल भुजंगासन करनी चाहिए जिसमें आप अपने शरीर को पूरी तरह से हथेली एवं पैर की अंगुली पर ले लेते हैं।
  4. भुजंगासन कमर दर्द कम करने के लिए : अगर इस आसान को ठीक तरह से किया जाए तो कमर दर्द में बहुत ज़्यदा राहत मिलती है। इसे नियमित रूप से किया जाए तो हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द से नजात मिल सकता है।
  5. भुजंगासन अस्थमा के लिए: यह योगभ्यास अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। इससे फेफड़े में खिंचाव आता है और फेफड़े में ऑक्सीजन की प्रवेश क्षमता बढ़ जाती है।
  6. भुजंगासन स्त्री रोग के लिए: नियमित रूप से इस योगभ्यास को करने से बहुत सारी स्त्री रोगों जैसे सिफिलिस, गोनोरिया इत्यादि से बच सकते हैं।
  7. भुजंगासन थाइरोइड के लिए: जब आप इस आसान को करतें हैं और अभ्यास क्रम में यदि छत को देखते हैं तो गर्दन वाले हिस्से में अच्छा खासा खिंचाव आता है जो थाइरॉइड एवं पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करने में मददगार है और थाइरोइड जैसी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
  8. भुजंगासन स्लिप डिस्क के लिए: अगर इस योग को सही तरह से अभ्यास किया जाए तो स्लिप् डिस्क जैसी समस्याओं से नजात मिल सकती है।
  9. भुजंगासन पाचन के लिए: यह आसन आमासय रस के स्राव में मददगार है और बहुत सारी परेशानियों जैसे कब्ज, अपच, गैस, अम्लीयता आदि से बचाता है। यह आप की पाचन सकती को सुदृढ़ एवं प्रबल भी बनाता है ।
  10. भुजंगासन तनाव मुक्त के लिए: यह आसान एड्रेनैलिन ग्रंथि को प्रभावित करता है और एड्रेनैलिन हॉर्मोन के स्राव में मदद करता है और इस तरह से तनाव, चिंता, डिप्रेशन इत्यादि को कम करने में मदद करता है

सावधानियां- स्लिप डिस्क के रोगी यह आसन न करे।

 

Aasan

  • ભુજંગાસન

    ભુજંગાસન (Cobra Pose) 
    अथ भुजङ्गानम् ।
    अंगुष्ठनाभिपर्यन्तमधोभूमौ विनिन्यसेत् ।
    करतलाभ्यांधरां धृत्वा उर्ध्वंशीर्ष फणीवहि ॥४१॥
    ઘેરંડ સંહિતામાં ભુજંગાસન વિશે ઉપર પ્રમાણે વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે. ભુજંગ એટલે સાપ. આ આસનમાં શરીરનો દેખાવ સર્પ ફેણ માંડીને જમીનથી ઊંચો થાય - તેના જેવો થતો હોઈ આ આસનને ભુજંગાસન કહેવામાં આવે છે.
     


    આસનની રીત: 

    • શવાસનમાં જેવી રીતે આકાશ તરફ મુખ રાખી ચત્તા સૂઈ જવાનું હોય છે તેનાથી બિલકુલ વિરુદ્ધ બંને પગ પૂરા સીધા કરી પગના પંજા લંબાવી પેટ ઉપર ઊંધા સૂઈ જાઓ. આ સમયે કપાળ જમીનને અડકશે અને બંને હાથ બાજુ પર પસારેલા હશે.
    • હવે જમણા હાથનો પંજો જમણી છાતી પાસે અને ડાબા હાથનો પંજો ડાબી છાતી પાસે ગોઠવો. દાઢીને લંબાવીને બહાર કાઢો. દાઢી શક્ય તેટલી લંબાવવાની સાથે સાથે માથું ઊંચું કરો અને પછી છાતી ઉંચી કરો. દાઢી, માથું અને છાતીની ક્રિયા અનુક્રમે ધીમેથી કરવાની છે. એકદમ છાતી ઉઠાવવાની નથી. હાથનો ટેકો પણ લેવાનો નથી. 
    • આ સમયે પગના અંગૂઠાથી નાભિપર્યંતનું શરીર જમીનને અડકાડેલું હશે. હાથની હથેળીઓને જમીન પર હશે અને પીઠની માંસપેશીઓના બળથી શરીર છાતી સુધી ઊંચું થયેલું હશે.
    • છાતી સુધીનો ભાગ ઊંચો કર્યા પછી છાતી નીચેના ભાગથી શરૂ કરી નાભિ સુધી પેટ ઊંચકવાનું છે. આ વખતે બંને હાથનો થોડો ટેકો લેવાનો છે અને ગર્દનથી કમર સુધીની કરોડને પાછળની બાજુ વાળવાની છે. બંને કોણીઓ પડખેથી દૂર જતી ન રહે તેની કાળજી રાખો.
    • હવે અંતિમ સ્થિતિએ પહોંચવા માટે આકાશ તરફ જોઈ કરોડને થોડોક વધારે વળાંક આપો. હાથ પૂરેપૂરા સીધા કરવાના નથી કે ખભા ઊંચકવાના નથી. કોણીમાંથી કાટખૂણાથી થોડા મોટો ખૂણો પડે તેમ, બંને હાથ રહેવા જોઈએ. અહીં આસન પૂરું થયું.
    • આ સ્થિતિમાં દસથી વીસ સેકન્ડ સ્થિર રહો. પછી ઉલટા ક્રમમાં એટલે કે પહેલા નાભિ, પછી પેટ, છાતી વગેરે નમાવતા નમાવતા છેવટે દાઢી અંદર ખેંચી લઈ મૂળ સ્થિતિમાં આવી જવું. 
    • આસનનો અભ્યાસ સિદ્ધ થયા પછી આસન કરતાં શ્વાસ ભરીને કુંભક કરવો અને આસન મૂક્યા પછી મૂળ સ્થિતિમાં આવ્યા બાદ શ્વાસ ખૂબ જ ધીરેથી છોડવો. 
    • આસન સિદ્ધ થતાં શરીરનો ભાર દંડની માફક હાથ પર નહિ ટેકવતાં દબાણ માત્ર માંસપેશીઓ પર આવે તે રીતે આસન થશે. 
    • આ આસનમાં સમય વધારવા કરતાં એકવાર થોડીક સેકન્ડ સ્થિર રાખી, ફરી કરવું હિતાવહ છે. શક્તિ પ્રમાણે આગળ વધતાં ત્રણથી સાત સુધીના આવર્તનો કરી શકાય. 


    ફાયદા: 

    ઘેરંડ સંહિતામાં ભુજંગાસનના ફાયદાઓ વિશે આ પ્રમાણે કહેવામાં આવ્યું છે
    देहाग्निवर्धते नित्यं सर्वरोग विनाशनम् ।
    जागर्ति भुजगी देवी भुजगासन साधनात् ॥४२॥
    અર્થાત્ ભુજંગાસનથી પીઠ અને પેટની માંસપેશીઓ સબળ અને નિરોગી બને છે તેમ જ પેટની અંદરના અવયવો પણ વધારે કાર્યક્ષમ બને છે. એથી જઠરાગ્નિ પ્રદીપ્ત બને છે. વિસ્તારપૂર્વક જોઈએ તો ...

    • બરડાની માંસપેશીઓ (Trapezius, latissimus dorsi, Erector spinae, Gluteal muscles) તથા કરોડના ગરદનના ભાગમાં આવેલ વિવિધ સ્નાયુઓ, ઉદર અને ઉરગુહાના સ્નાયુઓ (Cervical, Thoracic, Lumber, Sacrum) ખેંચાવાથી સ્નાયુઓ તથા કરોડના બે અંકોડા વચ્ચેથી નીકળતી જ્ઞાનતંતુની નાડીઓ વધારે સક્રિય અને બળવત્તર બને છે. પરિણામે દેહવિન્યાસ સુધારે છે ને કરોડ વધુ સ્થિતિસ્થાપક બને છે.
    • પેટના સ્નાયુઓ (Recti Muscles) ખેંચાવાથી ત્યાંના અવયવો વ્યવસ્થિત કાર્યશીલ બને છે. 
    • જમ્યા પછી પેટમાં વાયુ થતો હોય (Flautulence) તો આ આસનથી અટકે છે.
    • ઉદરગુહામાંનું દબાણ (Intra abdominal pressure) વધવાને પરિણામે કબજિયાત મટે છે.
    • ખભાની માંસપેશીઓ અને છાતી વિકસે છે. ફેફસાંને પ્રશ્વાસ વખતે પૂરેપૂરા વિકસવાનો અવકાશ મળવાથી શ્વસનતંત્ર વધુ કાર્યક્ષમ બને છે તથા હૃદય બળવાન બને છે.
    • ગર્ભાશય અને બીજાશય સુધરે છે તેથી માસિક વિના કષ્ટે આવે છે અને બહેનોને માસિક સંબંધી ફરિયાદો દૂર થાય છે. 
    • અતિ શ્રમ અને થાકને કારણે થતો બરડાનો દુખાવો ભુજંગાસનના અભ્યાસથી મટે છે.
    • મગજમાંથી નીકળતા જ્ઞાનતંતુઓ બળવાન બને છે. 
    • કફ, પિત્ત પ્રકૃતિના લોકો માટે આ આસન હિતકર છે. 

     

    સાવધાની: 

    • જેમની કરોડ અક્કડ હોય તેણે સહેલાઈથી વાળી શકાય તેટલી જ વાળવી. પરાણે જોર કરીને કે આંચકા મારીને વધારે વાળવાનો પ્રયત્ન હરગીઝ ન કરવો. અભ્યાસથી જેમ જેમ કરોડ સ્થિતિસ્થાપક થતી જશે તેમ તેમ વધારે વળાશે. ઉત્સાહમાં આવીને ઉતાવળ ન કરવી. 
    • આ આસન કરતા પીઠમાં દુખાવો થઈ આવે તો અતિશયતા થઈ છે, એમ જાણી એકાદ બે દિવસ આરામ કરી દુખાવો મટે પછી સાવચેતીપૂર્વક ફરી શરૂ કરવું. સામાન્ય રીતે કોઈ પણ આસન પછી દુખાવો કે બેચેની ન થવાં જોઈએ પણ ઉત્સાહ અને સ્ફુર્તિનો અનુભવ થવો જોઈએ.
       
भुजंग आसन

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Pooja Thu, 17/Jun/2021 - 12:26

 

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भुजंग आसन

भुजंग आसन

भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

भुजंगासन के लाभ

  1. भुजंग आसन के नियमित अभ्यास से कमर की मासपेशियाँ मजबूत होती है ।यह आसन  सक्रिय और उर्जावान बनाता है.। मेरूदंड के लिए बहुत लाभकारी है ।तंत्रिका तंत्र को सुचारू बनाये रखने के लिए भी यह आसन बहुत ही  ज़रूरी है । फेफड़ों की शुद्धि के लिए भी बहुत अच्छा है।
    बालक- बालिकाओं के लिए बहुत लाभदायक है।पाचन तंत्र मजबूत करता है। खाँसी और दमे के रोगिओं को भी लाभ देता है ।शुगर नियंत्रित करता है।पेट की चर्बी को कम करता है। क़ब्ज़ में भी लाभदायक है।मधुमेह से बचाता है भुजंगासन : भुजंगासन पैंक्रियाज को सक्रिय करता है और सही मात्रा में इन्सुलिन के बनने में मदद करता है।
  2. शरीर को सुडौल बनाता है भुजंगासन: यह शरीर को सुडौल एवं खूबसूरत बनाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। यह योगाभ्यास सम्पूर्ण शरीर में खिंचाव ले कर आता है और यही नहीं शरीर के अतरिक्त चर्बी को पिघालने में बहुत मददगार है।
  3. भुजंगासन पेट की चर्बी कम करने के लिए : अगर इस योग को विशेषज्ञ के सामने किया जाए तो निश्चित रूप से शरीर का वजन कम होगा और आप मोटापा से नजात पा सकते हैं। इसके लिए चाहिये आप ज़्यदा से ज़्यदा खिंचाव पेट के हिस्से में लें और जहाँ तक भी हो सके इस अभ्यास को अधिक समय तक धारण करें। शीघ्र परिणाम के लिए प्रबल भुजंगासन करनी चाहिए जिसमें आप अपने शरीर को पूरी तरह से हथेली एवं पैर की अंगुली पर ले लेते हैं।
  4. भुजंगासन कमर दर्द कम करने के लिए : अगर इस आसान को ठीक तरह से किया जाए तो कमर दर्द में बहुत ज़्यदा राहत मिलती है। इसे नियमित रूप से किया जाए तो हमेशा हमेशा के लिए कमर दर्द से नजात मिल सकता है।
  5. भुजंगासन अस्थमा के लिए: यह योगभ्यास अस्थमा रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है। इससे फेफड़े में खिंचाव आता है और फेफड़े में ऑक्सीजन की प्रवेश क्षमता बढ़ जाती है।
  6. भुजंगासन स्त्री रोग के लिए: नियमित रूप से इस योगभ्यास को करने से बहुत सारी स्त्री रोगों जैसे सिफिलिस, गोनोरिया इत्यादि से बच सकते हैं।
  7. भुजंगासन थाइरोइड के लिए: जब आप इस आसान को करतें हैं और अभ्यास क्रम में यदि छत को देखते हैं तो गर्दन वाले हिस्से में अच्छा खासा खिंचाव आता है जो थाइरॉइड एवं पैराथाइरॉइड ग्रंथियों को सक्रिय करने में मददगार है और थाइरोइड जैसी समस्याओं के लिए फायदेमंद है।
  8. भुजंगासन स्लिप डिस्क के लिए: अगर इस योग को सही तरह से अभ्यास किया जाए तो स्लिप् डिस्क जैसी समस्याओं से नजात मिल सकती है।
  9. भुजंगासन पाचन के लिए: यह आसन आमासय रस के स्राव में मददगार है और बहुत सारी परेशानियों जैसे कब्ज, अपच, गैस, अम्लीयता आदि से बचाता है। यह आप की पाचन सकती को सुदृढ़ एवं प्रबल भी बनाता है ।
  10. भुजंगासन तनाव मुक्त के लिए: यह आसान एड्रेनैलिन ग्रंथि को प्रभावित करता है और एड्रेनैलिन हॉर्मोन के स्राव में मदद करता है और इस तरह से तनाव, चिंता, डिप्रेशन इत्यादि को कम करने में मदद करता है

सावधानियां- स्लिप डिस्क के रोगी यह आसन न करे।

 

Aasan

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Pooja Thu, 17/Jun/2021 - 12:26

 

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