योग का महत्व पारिवारिक

व्यक्ति का परिवार समाज की एक महत्वपूर्ण इकाई होती है | तथा पारिवारिक संस्था व्यक्ति के विकास की नींव होती है | योगाभ्यास से आए अनेकों सकारात्मक परिणामों से यह भी ज्ञात हुआ है कि यह विद्या व्यक्ति में पारिवारिक मूल्यों एवं मान्यताओं को भी जागृत करती है | योग के अभ्यास व इसके दर्शन से व्यक्ति में प्रेम आत्मीयता अपनत्व एवं सदाचार जैसे गुणों का विकास होता है और निसंदेह यह गुण एक स्वस्थ परिवार की आधारशिला होते हैं |

वर्तमान में घटती संयुक्त परिवार प्रथा व बढ़ती एकल परिवार प्रथा ने अनेकों प्रकार की समस्याओं को जन्म दिया है आज परिवार का सदस्य संवेदनहीन अ सहनशील क्रोधी स्वार्थी होता जा रहा है जिससे परिवार की धुरी धीरे-धीरे कमजोर होती जा रही है लेकिन योगाभ्यास से इस प्रकार की दुष्ट प्रवृत्तियों स्वता ही निवारण हो जाता है भारतीय शास्त्रों में तो गृहस्थ जीवन को भी गृहस्थ योग की संज्ञा देकर जीवन में इसका विशेष महत्व बताया है योग विद्या में निर्देशित अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह, सोच, संतोष, तप स्वाध्याय व ईश्वर प्रतिकार प्राणीधान पारिवारिक वातावरण को सुसंस्कृत और समृद्ध बनाते हैं |