Anand
17 January 2025
![चिन्मय मुद्रा चिन्मय मुद्रा](/sites/swamiyoga.in/files/styles/wide/public/mudra/%E0%A4%9A%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%AF-%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE.jpg.webp?itok=bpG13vFn)
विधि-
सर्वप्रथम वज्रासन / पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए।
अब तर्जनी उंगली के अग्र भाग को अंगूठे के अग्र भाग से स्पर्श कीजिए व बाकी तीन उंगलियों को मुट्ठी बाँधने की स्थिति में मोड़ लीजिए ।
हाथों को घुटनो पर रखिए हथेलियों को आकाश की तरफ रखेंगे।
आँखे बंद रखते हुए श्वांस सामान्य बनाएँगे।
अपने मन को अपनी श्वांस गति पर केंद्रित रखिए।
लाभ-
-पेट के रोगों में लाभप्रद।
-पाचन तंत्र को मजबूत करता है।
-शरीर में उर्जा का संचार अधिक होता है।
-शारीरिक व मानसिक स्वस्थता के लिए अच्छा अभ्यास है।