Anand
18 January 2025
कभी सिनेमाघर में इसका प्रयोग करें। यह एक अच्छा ध्यान है। बस इतना स्मरण रखने की चेष्टा करें कि यह काल्पनिक है, यह काल्पनिक है...स्मरण रखें कि यह काल्पनिक है और पर्दा खाली है। और आप चकित हो जाएंगे--केवल कुछ सेकेंड के लिए आप स्मरण रख पाते हैं और फिर भूल जाते हैं, फिर यह यथार्थ लगने लगता है। जब भी आप स्वयं को भूल जाते हैं, सपना असली हो जाता है। जब भी आप स्वयं को स्मरण रखते हैं--कि मैं असली हूं, आप अपने को झकझोरते हैं--तब पर्दा पर्दा रह जाता है और जो भी उस पर चल रहा है सब काल्पनिक हो जाता है।