बुजुर्गों के लिए योगासन- शलभासन

यह योगासन बुजुर्गों की गर्दन और कमर की मसल्स को मजबूत फ्लैक्सिबल बनाता है और उनकी पाचन क्रिया सुधारता है। इस योगासन को करने के लिए पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। अब सांस अंदर लेते हुए अपना दायां पैर उठाएं और पैर को सीधा रखें। अब इसी अवस्था में रहें और सांस लेते रहें। सांस छोड़ते हुए दाएं पैर को नीचे रखें। अब अपने बाएं पैर से भी यही प्रक्रिया दोहराएं। इसके बाद सांस अंदर लेते हुए और घुटनों को सीधा रखते हुए कुछ गति के साथ दोनों पैरों को जितना हो सके ऊपर ले जाएं और इसी अवस्था में बने रहने की कोशिश करें। इसके बाद सांस छोड़ें और दोनों पैरों को आराम से नीचे लाएं।

सर्वाइकल के लिए योग : भुजंगासन

भुजंग सांप को कहा जाता है। इसलिए, इस आसन को इंग्लिश में कोबरा आसन भी कहा जाता है। इस आसन को रोजाना करने से कंधे, हाथ, कोहनियां, पीठ आदि की अकड़न दूर होती है और यह सब मजबूत होते हैं। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के लिए यह बेहतरीन उपाय है।

योगासन से पाएं साफ और निर्मल त्वचा

नियमित तौर पर योग करने से ना सिर्फ आपका तनाव कम होता है, शरीर स्वस्थ बना रहता है और नींद अच्छी आती है बल्कि शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं जिससे आपकी त्वचा में भी एक प्राकृतिक चमक आ जाती है। एक्सपर्ट्स की मानें तो योग की मदद से चर्म रोग से संबंधित समस्याएं जैसे कील-मुहांसे से छुटकारा मिलता है और हमारी त्वचा अंदर से साफ हो जाती है। एक नजर उन आसनों पर जिससे क्लियर स्किन पाने में मदद मिलती है-

योग द्वारा जोड़ों के दर्द का उपचार

अपने दैनिक जीवन के सामान्य कामकाज को निपटाते वक्त क्या आपके घुटनों, कन्धों या कलाई में दर्द होता है? क्या आप इन जोड़ों के दर्द के कारण अपने अपनी इच्छानुसार जीवन जीने के आनंद से वंचित है? क्या आप दिन में कई कई बार दर्द निवारक दवाओं के सेवन से परेशान है?

सर्वाइकल के लिए योग : मत्स्यासन

मत्स्यासन यानी मछली की तरह किया जाने वाला आसन। यह योगासन हमारी रीढ़ की हड्डी को मजबूती और लचीलापन प्रदान करता है। इसके साथ ही, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या से राहत मिलती है। इस आसन को करने से हमारे कंधे और गर्दन की मांसपेशियों को भी आराम मिलता है।

कसरत, योग और फ़िटनेस की आवश्यकता

अन्य देशों जैसा हमारे यहाँ शारीरिक तन्दुरूस्ती पर खास ध्यान नहीं दिया जाता। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हमारे देशों में जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को अपना जीवन यापन करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। पर हम आगे देखेंगे यह ज़रूरी नहीं है कि कड़ी मेहनत से शारीरिक तंदरुस्ती सुनिश्चित हो जाए। शारीरिक कसरत से ताकत भी बढ़ती है और तनाव और थकान को झेलने की क्षमता भी। इससे कुछ स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव होता है, स्वास्थ्य में सुधार होता है और कई एक बीमारियॉं ठीक भी हो जाती हैं। इस अध्याय में शारीरिक तन्दुरूस्ती क्या है इसके बारे में हम जानेंगे और कुछ एक कसरतों के मुख्य अवयवों के बारे में भी।

बुजुर्गों के लिए आसान योगासन : कटिचक्रासन

यह आसन शरीर को सीधा रखने में मदद करता है, क्योंकि इससे स्पाइन सीधी रहती है। इसके अलावा, यह हाथों और पैरों की मसल्स को मजबूती प्रदान करता है। बुजुर्गों के लिए योगासन में यह आसन काफी आसान है और फायदेमंद भी है। इसे करने के लिए पैरों को थोड़ा सा खोलकर आराम से खड़े हो जाएं। इसके बाद अपने हाथों को कंधे की सीध में रखते हुए सामने की तरफ फैला लें। अब लंबी और गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए जितना हो सके अपनी कमर को दायीं तरफ ले जाएं और सिर को दाएं कंधे की तरफ झुकाएं। अब सांस लेते हुए पिछली वाली पोजीशन में आ जाएं और फिर इस प्रक्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं।

योग से शरीर के आठ ग्लैंड करते हैं सुचारू रूप से काम

नियमित योग करने से न केवल आप बीमारियों से दूर रहते हैं बल्कि शरीर के तमाम ग्लैंड भी सुचारू रूप से काम करते हैं। शरीर में ग्लैंड अहम भूमिका निभाते हैं, वो कुछ ऐसा बनाते हैं या कुछ रिलीज करते हैं जिस कारण शरीर सुचारू रूप से काम करता है। शरीर में कई प्रकार के ग्लैंड होते हैं जो मुख्य रूप से दो प्रकार एंडोसिरिन व एक्सोसिरिन के अंतर्गत आते हैं। एंडोसिरिन ग्लैंड हार्मोन बनाने के साथ रिलीज करते हैं जो हमारी रक्त कोशिकाओं से होते हुए शरीर में जाते हैं। यही हमारे विकास के साथ मेटॉबॉलिज्म, मूड, यहां तक कि रिप्रोडक्शन में मदद करते हैं।

सर्वाइकल के लिए योग : सूर्य नमस्कार

कोई भी व्यक्ति जिसे गर्दन में दर्द, कंधे में दर्द और सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस हो उसके लिए यह आसन बेहद उपयोगी है। हालांकि, इसे करते समय बेहद सावधान रहना चाहिए। अगर आपको यह आसन नहीं आता, तो किसी विशेषज्ञ के निर्देशों का पालन करते हुए ही इस आसन को करें। इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। सूर्य नमस्कार करने के लिए बारह चरणों का पालन करना होता है।

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