स्वप्नदोष, शीघ्रपतन, नपुंसकता की योग चिकित्सा

मनुष्य ने स्वयं की गलतियों से शरीर को रोगी और अपूर्ण बना दिया | योग अपने आप में पूर्ण वैज्ञानिक विद्या है | हमारे ऋषियों ने योग का प्रयोग भोग के वजाय आध्यात्मिक प्रगति करने के लिए जोर दिया है जो नैतिक दृष्टि से सही भी है | परन्तु ईश्वर की सृष्टि को बनाये रखने के लिए संसारिकता भी आवश्यक है, वीर्यवान व्यक्ति ही अपना सर्वांगीण विकास कर सकता है,संतानोत्पत्ति के लिए वीर्यवान होना आवश्यक है पौरूषवान (वीर्यवान) व्यक्ति ही सम्पूर्ण पुरुष कहलाने का अधिकारी होता है | वीर्य का अभाव नपुंसकता है इसलिए मौज-मस्ती के लिए वीर्य का क्षरण निश्चित रूप से दुखदायी होता है | ऐसे व्यक्ति स्वप्नदोष,शीघ्रपतन और नपुं

Subscribe to नपुंसकता की योग चिकित्सा