यह आसन खड़े होकर किया जाता है। इस आसन में शरीर में अलग-अलग तीन कोण बनते हैं, इसलिए इसको त्रिकोणासन कहा जाता है।

विधि- खड़े होकर दोनों पैरो को अधिक से अधिक साइड में फैला दे। पैरों के पंजे सामने की ओर रहेंगे। अब दोनों हाथों को कन्धों के समानांतर साइड में उठा लें। लंबी-गहरी सांस भरें और सांस निकालते हुए कमर को बाई तरफ घुमाएं और आगे की ओर झुककर, उल्टे हाथ से सीधे पैर के पंजे को छूने की कोशिश करें। यदि पंजा आसानी से छू पाएं, तब हाथ की हथेली को पैर के पंजे के बाहर की तरफ ज़मीन पर टिका दें। साथ ही सीधा हाथ कंधे की सीध में आकाश की तरफ उठायें और ऊपर की ओर अधिक से अधिक खींचे। नीचे वाला हाथ नीचे की तरफ और ऊपर वाला हाथ ऊपर की तरफ खिंचा रहेगा। गर्दन को ऊपर की तरफ घुमाकर ऊपर वाले हाथ की ओर देखें। सांस की गति सामान्य रखते हुए इस आसन में यथाशक्ति रुके रहें। फिर सांस भरते हुए धीरे से वापस आ जाएं। इसी प्रकार दूसरी ओर बदलकर करें। दोनों ओर यह आसन तीन से चार बार कर लें।

सावधानियां- जितना आराम से कमर को आगे झुकाकर मोड़ सके उतना ही करें। जल्दबाजी और झटके से बचें। गर्दन दर्द, कमर दर्द, साईटिका दर्द, ऑस्टियोपोरोसिस में इसका अभ्यास न करें। साथ ही माईग्रेन, हाईपर एसिडिटी व हाई ब्लड प्रेशर में भी इसका अभ्यास न करें।

लाभ- यह आसन कमर व गर्दन की मांशपेशियों को लचीला बनाकर उसकी ताकत को बढ़ाने वाला है। इसके अभ्यास से पैरों, घुटनों, हैमस्ट्रिंग, पिंडलियों, हाथों, कन्धों व छाती की मांशपेशियां लचीली बनी रहती हैं। कूल्हे की हड्डी को मज़बूती देने वाला है त्रिकोणासन। पाचन तंत्र को बल मिलता है, कब्ज, गैस व डायबटीज़ को दूर करने वाला है। इसके निरंतर अभ्यास से शरीर पर चढ़ी हुई अनावश्यक चर्बी कम होने लगती है, जिससे मोटापा दूर होता है और शरीर सुडौल बना रहता है। यह शरीर की जकड़न-अकड़न को दूर कर पूरे शरीर में लचीलापन प्रदान करता है और शरीर को हल्का कर देता है। नर्वस सिस्टम को स्वस्थ कर यह आसन मन व मस्तिष्क को बल देने वाला है। बच्चों की लम्बाई को बढ़ाने में भी विशेष सहायक है।

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त्रिकोणासन