मैं आजकल अपने एक दोस्त को ट्रेन कर रहा हूँ, मैं जिम जाने का कोई खास शौक़ीन नहीं हूँ पर उनको ट्रेन करने जाता हूँ और खुद बिना मशीन के अपने आप को ट्रेन करता हूँ.

मैं काफ़ी सालों बाद जिम गया पर मुझे कोई खास बदलाव नहीं नज़र आया, सब कुछ आज भी वैसे ही चल रहा है - वो ही आधी अधूरी जानकारी और गलत ढंग से कराई और की जा रही कसरत.

अगर आपको यह पोस्ट पूरा नहीं पढ़ना है, तो नीचे जाकर इसका सार पढ़ लीजिये.

मैं जब मेरे दोस्त को कार्डिओ ट्रेनिंग के लिए ट्रेडमिल पर चलाता और दौड़ाता हूँ, तब मैं वहां आये हुए लोगों को भी ध्यान से देखता हूँ.

लोग आते हैं और चढ़ जाते हैं मशीन पर और बस खाना पूर्ती करने के लिए चलने लगते हैं. किसी का भी एक बूँद पसीना नहीं बहता, और किसी की भी ज़रा सी सांस नहीं फूलती, समझ नहीं आता कि हो क्या रहा है.

कार्डिओ करने का एक तरीका होता है - आप पहले धीरे धीरे वार्म-अप करते हैं उसके बाद धीरे धीरे अपनी गति बढ़ाते हैं और फिर उसी तरह से धीरे धीरे एक समय बाद कम करते हुए, अपनी कसरत बंद करके मशीन से उतरते हैं.
लोग वहां जितनी गति से चढ़ते हैं, उतनी ही गति से एकदम से मशीन को बंद करके उतर जाते हैं.

यह करना बहुत गलत है और इससे भी ज़्यादा गलत है वहां मौजूद "ट्रेनर". वे किसी को कुछ भी नहीं सिखाते और जिनको ( लड़कियों को ) सिखाते हैं, वो भी गलत सिखाते हैं.

वहां लोगों का एक-आद बूँद पसीना गिर जाए ( गलती से ) तो वे तुरंत ए.सी. या पंखे की छाती पर जा खड़े होते हैं, कोई इस बात पर ध्यान नहीं देता कि यह कितना नुकसानदायक होता है.

आपका शरीर पसीने के रास्ते आपके शरीर के टॉक्सिन्स निकाल रहा है और आप उसे ऐसा करने से रोक रहे हैं.

खैर, उसके बाद हम जाते हैं स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के लिए. यह जगह थोड़ी देर बाद ज़ुम्बा और एरोबिक्स करने वाले महारथी घेर लेते हैं.

मैं सबसे पहले कोर स्ट्रेंथ के लिए उन्हें प्लैंक, पुश अप, पुलअप आदि करता हूँ, बिना वजन लिए शरीर को वार्म अप करता हूँ और उसके बाद ही असली कसरत पर आता हूँ.

पूरे जिम में हमारे अलावा कोई भी वार्म अप नहीं करता, सब आते ही मशीनों पर टूट पड़ते हैं. ट्रेनर भी इस पर कोई ध्यान नहीं देते. कहने को तो बहुत अच्छी जिम है, बहुत सरे ट्रेनर हैं, सबके कसरत के "कार्ड" भी बने हुए हैं, बस उन्हें ठीक से करता कोई नहीं, सब अपने हाथों में अपने कार्ड लिए मशीनों पर अपनी तशरीफ़ रखते चलते हैं.

शुरू में मेरे दोस्त का बॉडी पोस्चर सही नहीं आ रहा था, इसीलिए मैंने शुरू के 10 - 15 दिन सिर्फ उनके पोस्चर पर ही काम किया.

जब हम बाकी लोगों को गलत तरीके से कसरत करते देखते तो बहुत बुरा भी लगता और तरस भी आता है - लोग पैसा देकर भी गलत कर रहे हैं.

ट्रेनर कभी पोस्चर ठीक करने पर ध्यान नहीं देते, एक बार बता दिया कि फलां कसरत ऐसे होगी बस उसके बाद लोग लगे हैं गलत करने में.

ट्रेनर पर इससे बड़ी ज़िम्मेदारी होती है - एक कोने में झुँड बनाकर बाते करना, जिम में आयी हुई लड़कियों की कलाई पकड़ पकड़ उन्हें “कसरत” कराना, यह काम भी तो ज़रूरी है, किसी का बॉडी पोस्चर ख़राब होता है तो होता रहे.

मैं 17-18 साल के लड़कों को देखता हूँ, गधों की तरह वजन उठाते हुए, उठ नहीं रहा होता है, पर पूरी जान लगाकर लगे रहते हैं बिचारे, उन्हें लगता है कि सिर्फ वजन उठाने से उनका शरीर बन जाएगा.

एक लड़का आता है रोज़, उसको पता नहीं क्या कराता है ट्रेनर जो मुझे भी आजतक समझ नहीं आया, वो कभी कंधे की कसरत कर रहा होता तो अगले पल वो अपनी टांगो की कसरत कर रहा होता है.

वो ऐसे करता है मानों कि मशीनों और जिम पर एहसान कर रहा हो, ऐसे उठाता है कि मानों मशीन और डम्बेल को चोट न लग जाए.

2 उम्रदराज आंटियाँ आती हैं, एक 40 पार हैं और दूसरी 50 पार.

मुझे कैसे पता? मैंने उनका जिम का कार्ड देखा है. एक को तो थाइरोइड को समस्या भी हैं.

ट्रेनर उनसे वो वजन उठवाता हैं जो मेरे दोस्त भी अभी नहीं उठा पाते हैं.

किस लिए?

इस उम्र में क्या उनको ज़रुरत हैं इतना वजन उठाने की?

और उनको भी एक बार सोचना चाहिए कि क्या सिर्फ वजन उठा कर वो रातों रातों पतली हो जाएंगी?

उनको दोनों को देख कर मुझे बहुत तरस आता हैं पर मैं बीच में नहीं बोलता, जानते हैं क्यों?

लोग आपको ही बेवकूफ समझते हैं, उन्हें लगता हैं कि ट्रेनर सब जानता हैं और वो ही सही हैं.

इस जिम के ट्रेनर घुइयां जानते हैं.

एक और आता है, 18 साल का लड़का, एकदम पतला दुबला, वो जीन्स पहन कर आता है और अपने वजन के बराबर वजन लगा कर टांगों की कसरत करने की भरपूर कोशिश करता है. उसको मैंने समझाया तो उससे लगा चूँकि मेरी बॉडी गुब्बारे जैसे फूली हुई नहीं है, इसीलिए मुझे कुछ नहीं पता.

इसके बाद मैंने भी जाने दिया, आप गधों को समझा कर घोड़ा नहीं बना सकते. अब मैं रोज़ उसको अपना शरीर ख़राब करते हुए देखता हूँ.

अगर आपको जिम जाने का इतना शौक लग रहा है तो सही उम्र का इंतज़ार कीजिये, 21 साल के बाद ही जिम में जाकर मजदूरी कीजिये, उससे पहले अपने शरीर को नेचुरल तरीके से बढ़ने दीजिये.

दूसरी बात, जिम जाकर बॉडी बनाने से पहले अपने शरीर और उससे जुड़ी कसरतों के बारे में थोड़ा जान लीजिये, काम आएगा.

एक बाप बेटी आते हैं - दोनों ने जिम देखा और खुश होकर पैसे भर दिए ( जिम अच्छी है, यह समझ लीजिये उसकी चेन विदेश में भी हैं ) अब वो रोज़ सुबह आते हैं. मात्र 3 -4 मिनट ट्रेड मिल पर "एहसान" करते हैं, फिर 3 - 4 बार अपनी कमर इधर उधर हिला कर, ट्रेनर की बात मानते हुए कुछ भी वजन उठा कर घर चले जाते हैं.

जितनी देर में हमारा वार्म अप खत्म होता है उतनी देर में वो लोग निकाल जाते हैं.

2 भाई आते हैं - यह बहुत गजब जोड़ी हैं- यह पहले हमें करते हुए देखते हैं उसके बाद खुद करते हैं. यह सारी मशीनों पर ज़रुरत से ज़्यादा वजन लगाकर उस पर अपने शरीर को झुलाते हैं, उठता नहीं है ठीक से तो बस किसी तरह से 4 - 5 रेपेटेशन लेकर दिल खुश कर लेते हैं पर वजन नहीं कम करते.

मैं मशीनों से कसरत नहीं करता और न ही कराता हूँ, मैं थोड़ा पुराने तरीके इस्तेमाल करता हूँ.

एक दिन चेस्ट कराते हुए एक ट्रेनर मेरे पास आया और बोला - आप यह चीज़ जो कर रहे हैं वो तो बहुत पुरानी है, अब तो इसके लिए हमारे यहाँ मशीन लगी हुई है.

मैंने उसकी तरफ देखा और बोला - मैं इसी पर ठीक हूँ, मैं मशीन से कसरत नहीं करता और अपने काम में लग गया.

मुझे कसरत करना मेरे पिताजी ने सिखाया, मेरे पिताजी फ़ौज में वेट लिफ्टिंग और बॉक्सिंग किया करते थे. मुझे अच्छी तरह से पता है कि मुझे क्या करना है.

मैं कभी जाकर ट्रेनर से ज्ञान नहीं मांगता, शुरू में उन्हें लगा कि मैं नौसीखिया हूँ पर अब यह हालत है कि मुझे छुप कर कसरत करानी पड़ती हैं - ट्रेनर देख कर पूछते हैं - सर, यह कहाँ से सीखी, यह किस लिए है?

ट्रेनर यह सवाल सुबह सुबह करते हैं, थोड़ी देर बाद वो सब लड़कियों को कलाई पकड़ पकड़ गलत कसरत कराने में व्यस्त हो जाते हैं.

एक लड़की आती है, उसकी बॉडी एकदम परफेक्ट है, पर ट्रेनर उसको हफ्ते में 3 दिन टांगो की और बाकि दिन बैक की कसरत कराता है.

लड़की को किसी जिम की ज़रुरत नहीं है पर वो पता नहीं क्या सोच कर आती है.

ट्रेनर लोगों को बस वजन उठाने के लिए बोलते रहते हैं, आप इसके 3 सेट करो, आप यह करो, बस. कैसे करोगे, कितना करोगे यह आप जानो.

मैं अपने दोस्त को हमेशा वेरिएशन के साथ कसरत कराता हूँ, ताकि शरीर को पता ही नहीं चले कि अगला क्या आने वाला है.

पोस्चर ठीक कराते कराते कराता हूँ, हिसाब से वजन लगाता हूँ और सबसे ज़रूरी ठीक डाइट खिलवाता हूँ. कभी कभी लगता है क्या हम ही अपने शरीर की चिंता करते हैं, बाकियों को बिलकुल होश नहीं?

एक बात अपने दिमाग में बिठा लें - अगर आपका पोस्चर सही नहीं है या सही नहीं आ रहा है तो ज़बरदस्ती न करें, पहले अपना पोस्चर ठीक करें उसके बाद वजन लें.

अपनी डाइट का खास ख्याल रखें, बिना सही डाइट के आप अगर 24 घंटे भी कसरत करेंगे तो भी कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे. फटीग आने तक कसरत करें, बस मज़े लेने के लिए नहीं करें, मज़े लेने वाले बाद में सांस रोक कर, अपना पेट अंदर करके चलते हैं.

अकसर जिम में मशीनों का कोई खास रख रखाव नहीं होता, उनकी समय पर ऑइलिंग नहीं होती और ज़्यादातर मशीनों के एलाइनमेंट गलत होते हैं, अगर आप थोड़ा भी जानते हैं इस बारे में तो आप एक बार मशीन पर बैठकर कर इसका अंदाज़ा आसानी से लगा सकते हैं.

हमारी जिम भी कोई अलग नहीं है, यहाँ भी यह ही स्थिति है.

देखिये मेरी जिम से कोई लड़ाई नहीं है, मैं बस जिम कल्चर को ज़्यादा सही नहीं मानता. आधे लोगों को पता ही होता कि वो कर क्या रहे हैं और जिन्हे पता होता है वो अक्सर गलत कर रहे होते हैं.

जिम में 2 -4 लोग ही मन से कसरत करते हैं.

अब आते हैं मुद्दे की बात पर, मैं यहाँ कुछ सुझाव देना चाहूंगा लड़कों और लड़कियों के लिए. मुझे लगता है कि शायद लोगों को थोड़े से भ्रम हैं जिन्हे दूर करना ज़रूरी है.

लड़कियों के लिए:

  • आपको वजन कम करना है या फिर शेप में आना है, आप यह बात दिमाग में डाल लीजिये कि यह चीज़ आप वजन उठा नहीं कर सकती. वजन उठाने से आपका शरीर अपना लचीलापन खो देगा और आगे जाकर आपको काफी दिक्कत हो सकती है.
  • आप अच्छे से कार्डिओ कीजिये, अपनी सांस फूलने दीजिये, रस्सी कूदिये, साइकिलिंग, एरोबिक्स कीजिये, स्ट्रेचिंग कीजिये और वजन उठाने से दूर रहिये. टांगो के लिए आप सिर्फ स्क्वाट्स, लंजिस कीजिये, वो आपके लिए काफी है.
  • याद रखिये किसी भी कसरत को करने से पहले आप वार्म आप ज़रूर कीजिये. उसके बाद धीरे धीरे शुरू करिये, न ही एकदम से शुरू कीजिये और न ही एकदम से रुकिए.
  • आप डाइट पर ध्यान दीजिये, उसके लिए मैं आपने एक दो उत्तरों के लिंक डाल रहा हूँ उन्हें पढ़िए और खाने का तरीका समझिये. आप दिन में 5 -6 बार खाने की कोशिश कीजिये, एकदम एक बार में ठूस कर मत खाइये. अपने मेटाबोलिज्म को बढाइये
  • अपना बॉडी पोस्चर का ध्यान रखिये, कसरत करते समय शरीर को ढीला ढला मत रखिये.

लड़को के लिए:

  • वार्म आप बहुत ज़रूरी है, तो कोई भी कसरत से पहले अच्छे से वार्म आप कीजिये.
    शुरुवात वार्म आप से करिये उसके बाद कार्डिओ पर जाइये. ट्रेडमिल पर पहले चलिए, उसके बाद दौड़िये और उसके बाद फिर से धीरे धीरे कम करते हुए चलिए और फिर बंद करिये.
  • उसके बाद आप लोअर बैक और एब्स की कसरत करिये, यह आपको स्ट्रेचिंग भी कराएगी और आपका शरीर भी आगे के कसरत के लिए तैयार हो जाएगा.
    इससे आपका कोर भी मजबूत होगा, अगर आपका कोर मजबूत नहीं है तो सिर्फ बाइसेप फुला लेने का कोई फायदा नहीं है.
  • एक दिन में शरीर का एक ही हिस्सा ट्रैन कीजिये, अपनी कमज़ोर एरिया को पकड़िए और उसपर काम कीजिये. एक दिन में ही जिम की सारी मशीनों से प्यार न जताइए, कुछ अगले दिन के लिए भी छोड़िये.
  • अगर आप सीख सकते हैं तो फ्री वेट से कसरत करना सीखिए, याद रहे इसमें पोस्चर का बहुत ध्यान रखना पड़ता है, मशीन पर तो कोई भी ऊपर नीचे आगे पीछे करके कर लेता, असली ताकत फ्री वेट पर पता चलती है.
  • अपनी डाइट का खास ख्याल रखिये, हफ्ते में 5 या बहुत हुआ तो 6 दिन ट्रैन कीजिये, एक दिन अपने शरीर को आराम दीजिये.
  • प्रोटीन पावर के चक्कर में न पड़िए, उसके लिए आपका शरीर अभी तैयार नहीं है, और आमतौर पर लोगों को इसकी ज़रुरत नहीं होती पर बस वो लेते रहते हैं. आप बिना प्रोटीन पावर खाये भी बहुत अच्छी नेचुरल बॉडी बना सकते हैं.

    याद रखिये, प्रोटीन खा कर गुब्बारा बनना जीवन का मकसद नहीं है, फिटनेस बनाये रखना जीवन का मकसद है.

उम्मीद करता हूँ कि इस उत्तर से लोगों को सही जानकारी मिलेगी, आप इसे अपने दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ शेयर कर सकते हैं, ताकि लोग आगे जाकर गलत कसरत न करें.

अगर आपको यह पसंद आया है और आप कोई मदद चाहते हैं, तो मुझे कमेंट में बताइये या मुझे डायरेक्ट मैसेज कीजिये, मैं आपकी मदद करूँगा, पर गलत कसरत मत कीजिये.

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जिम जाने के क्या फायदे एवं नुकसान हैं?