गर्भावस्था में माँ द्वारा किये जाने वाले योग माँ और बच्चे पर बहुत ही अनुकूल प्रभाव डालते हैं। गर्भावस्था में योग अपने मन से न करें बल्कि एक अच्छी जानकार योग शिक्षक की सलाह से ही योग करें। इस विषय पर मैंने विस्तृत उत्तर लिखा है, जिसे आप पढ़ सकते हैं। उसकी लिंक साझा कर रही हूँ।
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स्मृति गुप्ता
, योग जिज्ञासु
जवाब दिया गया: 30 नव॰ 2020
प्रसव पूर्व योगा क्या होता है, यह कैसे मददगार है और इसे कैसे करें?

मातृत्व सुख की अनुभूति स्त्री का सबसे प्यारा और सुखद एहसास होता है। एक नन्हे बच्चे को बीजरूप में अपने गर्भ में पालने से लेकर जन्म देने तक उसका पूरा ख्याल रखना बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है।

गर्भावस्था के दौरान शरीर में बदलाव आते हैं। बड़े-बुजुर्गों का कहना था कि इस समय महिलाओं को कुछ घर के काम इत्यादि करते रहना चाहिए, जिससे प्रसव के समय दिक्कतों का सामना न करना पड़े। अब घर के काम तो आजकल ज्यादा होते नहीं हैं। अतः शरीर को सक्रिय रखने के लिए योग से अच्छा कोई तरीका नहीं हो सकता।

योग एक प्रकार का वो अनुशासन है जो हमारे शारीरिक और मानसिक संतुलन को बनाने का काम करता है।

योग इन चार अवस्थाओं का संयोजन होता है।

    ध्यान
    आसन
    प्राणायाम
    योगनिद्रा

प्रसव पूर्व के योग सामान्य योग से अलग होते है, क्योंकि गर्भावस्था में सभी योगासन सुरक्षित नहीं होते है। इस समय एक योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में या उसके बताए अनुसार ही योग करना शरीर और बच्चे के लिए सही होता है। इस समय माँ और बच्चे को ध्यान में रखते हुये ही योग करना चाहिए, अपने मन से कोई भी योग न करें।

पहले तीन महीने में कुछ आसान से योग ही करने चाहिए, क्योंकि यह वो समय होता है जब भ्रूण विकसित हो रहा होता है और उस समय ज्यादा सुरक्षा की आवश्यकता होती है।

यदि पहले से ही जो लोग योग करते रहते हैं, उन्हें योग से कोई परेशानी नहीं होती है। किन्तु फिर भी सुरक्षा की दृष्टि से 15 हफ्ते के बाद ही योग की कक्षा में जाना ठीक रहता है, इतने समय में गर्भ पूरी तरह स्थापित हो जाता है।

इस समय विश्राम और श्वास से जुड़े योग ही करने चाहिए।

जैसे-

    ताड़ासन- रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने के साथ ही पीठ दर्द में भी आराम देता है। इस समय पीठ दर्द की समस्या होने लगती है।
    शवासन- यह आराम की अवस्था है, जो शरीर को थकान से राहत देता है।

दूसरे तीन महीने में धीरे-धीरे वजन बढ़ने लगता है, इस समय संतुलन बनाने में थोड़ी समस्या होने लगती है। इसलिए हमेशा ध्यान रखें और योग करने में सावधानी बरतें, जल्दबाज़ी कभी भी न करें जिससे चोट आदि न लगे। जरूरत से ज्यादा योग न करें, कभी सांस लेने में थकान लगे तो समझिए कि अब थोड़ा रुकना है और आराम करना है।

इस समय के कुछ आसन-

    वीरभद्रासन
    उत्थानासन
    वज्रासन

इन आसनों से शरीर और मांसपेशियाँ मजबूत बनती हैं, और प्रसव के लिए शरीर तैयार होता है।।

तीसरे तीन महीने में वजन और पेट काफी बढ़ चुका होता है, ऐसी स्थिति में किसी को साथ लेकर ही आसन करें। कभी दीवार या कुर्सी का सहारा भी ले सकते हैं, जिससे यदि संतुलन बिगड़े तो आप गिरने से बचेंगे, और चोट नहीं लगेगी।

इस समय के कुछ आसन -

त्रिकोणासन जो कूल्हों में लचीला पन बनाए रखते हैं, पाचन संबंधी परेशानियों को कम करने में मदद करता हैं।

उपविष्ठा कोणासन पीठ के निचले हिस्से के दर्द को दूर करने में मदद करता है,

इस समय प्राणायाम करने पर ध्यान ज्यादा दें। जो ध्यान केन्द्रित करने में मदद करेगा। इसमें ध्यान मुद्रा और अनुलोम विलोम ही करना चाहिए।

 

कभी भूल कर भी कपालभाती या अग्निसार जैसे प्राणायाम नहीं करने चाहिए, यह पेट पर ज़ोर डालते हैं जो नुकसानदेह साबित हो सकते है।

अब प्रश्न के दूसरे भाग की बात करते हैं- यह कैसे मददगार है और इसे कैसे करें?

प्रसव के पहले योग करते रहने से माँ और बच्चे के लिए बहुत ही अच्छा होता है।

    इस समय नींद न आने की समस्या भी हो जाती है, योग करने से अच्छी नींद आती है। सिरदर्द और उबकाई आने में कमी आती है।
    शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तनाव कम होता है।
    बच्चे का सही विकास होता है, योग समय से पहले प्रसव होने के खतरे को कम करता है।
    पीठ और कमर दर्द में राहत देता है, नसों और मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
    प्राणायाम से सहनशक्ति, लचीलापन बढ़ता है, जो आसान प्रसव में सहायक होता है।

इसे कैसे करें?

योग और प्राणायाम एक सुशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में करें। अच्छे से योग सीखने के बाद आप घर पर भी कर सकते हैं, बस थोड़ा आराम से और सावधानी से ही योग करें। योग करना कोई कठिन काम नहीं है, बस इसको करने के लिए संयम और नियमित होना चाहिए।

योग प्रसव के कुछ समय बाद भी करना चाहिए जिससे ढीली पड़ी मांसपेशियाँ और शरीर का आकार सही बनाए रखने में मदद मिलती है। योग हमारे तन मन को स्वस्थ्य और खुश रखने में बहुत सहायक होता है। मेरे दोनों बच्चे बड़े हो गए हैं, किन्तु में आज भी नियमित योग करती हूँ।

सावधानी

कुछ आसनों को गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए। जैसे- शीर्षासन, सर्वांगासन, पश्चिमोत्तान आसान, भुजंगासन, धनुरासन, ऐसे कई आसान हैं जिन्हें नहीं करना चाहिए। इसी तरह कुछ मुद्राओं को भी नहीं करना चाहिए। पूरी जानकारी लेने के बाद ही योग करें।

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गर्भावस्था में कौन से योग आसन कर सकते हैं?