अष्टांगयोग क्या है

अष्टांग योग महर्षि पतंजलि के अनुसार चित्तवृत्ति के निरोध का नाम योग है (योगश्चितवृत्तिनिरोध:)। इसकी स्थिति और सिद्धि के निमित्त कतिपय उपाय आवश्यक होते हैं जिन्हें 'अंग' कहते हैं और जो संख्या में आठ माने जाते हैं।

अष्टांग योग के अंतर्गत प्रथम पांच अंग (यम, नियम, आसन, प्राणायाम तथा प्रत्याहार)

  • यम,
  • नियम,
  • आसन,
  • प्राणायाम तथा
  • प्रत्याहार

'बहिरंग' और

शेष तीन अंग (धारणा, ध्यान, समाधि) 'अंतरंग' नाम से प्रसिद्ध हैं।

ਅਸ਼ਟੰਗ ਯੋਗ ਕੀ ਹੈ?

ਅਸ਼ਟੰਗ ਯੋਗਾ ਮਹਾਂਰਿਸ਼ੀ ਪਤੰਜਲੀ ਦੇ ਅਨੁਸਾਰ, ਚਿਤਾਵ੍ਰਿਤੀ ਦੀ ਰੋਕਥਾਮ ਦਾ ਨਾਮ ਯੋਗਾ (ਯੋਗਸੰਤਵਰਤੀ) ਹੈ. ਇਸਦੀ ਸਥਿਤੀ ਅਤੇ ਪ੍ਰਾਪਤੀ ਲਈ ਕੁਝ ਉਪਾਅ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ 'ਅੰਗਸ' ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗਿਣਤੀ ਵਿਚ ਅੱਠ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ.

ਅਸ਼ਟੰਗ ਯੋਗ ਦੇ ਤਹਿਤ ਪਹਿਲੇ ਪੰਜ ਅੰਗ (ਯਾਮ, ਨਿਯਮ, ਆਸਣ, ਪ੍ਰਾਣਾਯਾਮ ਅਤੇ ਪ੍ਰਤਿਹਾਰਾ)।

ਯਾਮਾ,
ਨਿਯਮ,
ਆਸਣ,
ਪ੍ਰਾਣਾਯਾਮ ਅਤੇ
ਕdraਵਾਉਣਾ
'ਬਾਹਰ' ਅਤੇ

ਬਾਕੀ ਤਿੰਨ ਅੰਗ (ਧਾਰਣਾ, ਧਿਆਨ, ਸਮਾਧੀ) ‘ਨੇੜਤਾ’ ਨਾਮ ਨਾਲ ਮਸ਼ਹੂਰ ਹਨ।

राजयोग (अष्टांग योग) क्या है ?

राजमार्ग का अर्थ है आम- रास्ता। वह रास्ता जिस पर होकर हर कोई चल सके। राजयोग का भी ऐसा ही तात्पर्य है। जिस योग की साधना हर कोई कर सके। सरलतापूर्वक प्रगति कर सके। महर्षि पतंजलि निर्देशित राजयोग के आठ अंग हैं। 
1. यम 
सभी प्राणियों के साथ किये जाने वाले व्यावहारिक जीवन को यमों द्वारा सात्त्विक व दिव्य बनाना होता है। यम पाँच हैं। 
सत्य- बात को ज्यों का त्यों कह देना सत्य नहीं है, वरन् जिसमें प्राणियों का अधिक हित होता हो, वही सत्य है। 

महर्षि पतं‍जलि के अष्टांग योग या राजयोग

महर्षि पतं‍जलि के योग को ही अष्टांग योग या राजयोग कहा जाता है। योग के उक्त आठ अंगों में ही सभी तरह के योग का समावेश हो जाता है। भगवान बुद्ध का आष्टांगिक मार्ग भी योग के उक्त आठ अंगों का ही हिस्सा है। हालांकि योग सूत्र के आष्टांग योग बुद्ध के बाद की रचना है।

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