प्राकृतिक चिकित्सा प्रणाली क्या है ?

प्राकृतिक−चिकित्सा−प्रणाली का अर्थ है प्राकृतिक पदार्थों विशेषतः प्रकृति के पाँच मूल तत्वों द्वारा स्वास्थ्य−रक्षा और रोग निवारण का उपाय करना। विचारपूर्वक देखा जाय तो यह कोई गुह्य विषय नहीं है और जब तक मनुष्य स्वाभाविक और सीधा−सादा जीवन व्यतीत करता रहता है तब तक वह बिना अधिक सोचे−विचारे भी प्रकृति की इन शक्तियों का प्रयोग करके लाभान्वित होता रहता है। पर जब मनुष्य स्वाभाविकता को त्याग कर कृत्रिमता की ओर बढ़ता है, अपने रहन−सहन तथा खान−पान को अधिक आकर्षक और दिखावटी बनाने के लिये प्रकृति के सरल मार्ग से हटता जाता है तो उसकी स्वास्थ्य−सम्बन्धी उलझनें बढ़ने लगती हैं और समय−समय पर उसके शरीर में कष

भुजंग आसन

भुजंगासन को कोबरा पोज़ भी कहा जाता है क्योंकि इसमें शरीर के अगले भाग को कोबरा के फन के तरह उठाया जाता है। भुजंगासन की जितनी भी फायदे गिनाए जाएं कम है। भुजंगासन का महत्व कुछ ज्यादा ही है क्योंकि यह सिर से लेकर पैर की अंगुलियों तक फायदा पहुंचाता है। अगर आप इसके विधि को जान जाएं तो आप सोच भी नही सकते यह शरीर को कितना फायदा पहुँचा सकता है।  

प्राणायाम

प्राणायाम योग के आठ अंगों में से एक है। अष्टांग योग में आठ प्रक्रियाएँ होती हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, तथा समाधि । प्राणायाम = प्राण + आयाम । इसका शाब्दिक अर्थ है -  प्राण या श्वसन को लम्बा करना  या फिर   जीवनी शक्ति  को लम्बा करना । प्राणायाम का अर्थ कुछ हद तक श्वास को नियंत्रित करना हो सकता है | परन्तु स्वास को कम करना नहीं होता है | प्राण या श्वास का आयाम या विस्तार ही प्राणायाम कहलाता है |

यह प्राण-शक्ति का प्रवाह कर व्यक्ति को जीवन शक्ति प्रदान करता है।

हठयोगप्रदीपिका में कहा गया है-

योग मुद्रा

मुद्रा हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म में एक प्रतीकात्मक या आनुष्ठानिक भाव या भाव-भंगिमा है।जबकि कुछ मुद्राओं में पूरा शरीर शामिल रहता है, लेकिन ज्यादातर मुद्राएं हाथों और उंगलियों से की जाती हैं। एक मुद्रा एक आध्यात्मिक भाव-भंगिमा है और भारतीय धर्म तथा धर्म और ताओवाद की परंपराओं के प्रतिमा शास्त्र व आध्यात्मिक कर्म में नियोजित प्रामाणिकता की एक ऊर्जावान छाप है। नियमित तांत्रिक अनुष्ठानों में एक सौ आठ मुद्राओं का प्रयोग होता है।