10 मिनट का ये आसन आपको दिलाएगा कमर दर्द से राहत

दिन भर दफ्तर में बैठकर काम करने से अगर आप कमर दर्द की समस्या से जूझ रहे हैं तो 10 मिनट का ये योग आपकी इस समस्या को दूर कर देगा। अगर आप रोज 10 मिनट कोणासन का अभ्यास करेंगे तो आपको इसके कई और भी फायदे नजर आएंगे।

इस आसन से रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और शरीर की स्ट्रेचिंग होती है। इसके अलावा यह पेट, शरीर के निचले हिस्से, कमर, बाजू और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने में फायदेमंद है। अगली स्लाइड में जानें इसे करने का तरीका

डायबि‍टीज और तोंद को कंट्रोल करे कुर्मासन योग

कुर्म का अर्थ होता है कछुआ। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की आकृति कछुए के समान बन जाती है इसीलिए इसे कुर्मासन कहते हैं।

कुर्मासन की विधि : सबसे पहले आप वज्रासन में बैठ जाएं। फिर अपनी कोहनियों को नाभि के दोनों ओर लगाकर हथेलियों को मिलाकर ऊपर की ओर सीधा रखें।

इसके बाद श्वास बाहर निकालते हुए सामने झुकिए और ठोड़ी को भूमि पर टिका दें। इस दौरान दृष्टि सामने रखें और हथेलियों को ठोड़ी या गालों से स्पर्श करके रखें। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद श्वास लेते हुए वापस आएं।

योगासन एवं आसन के मुख्य प्रकार

चित्त को स्थिर रखने वाले तथा सुख देने वाले बैठने के प्रकार को आसन कहते हैं। आसन अनेक प्रकार के माने गए हैं। योग में यम और नियम के बाद आसन का तीसरा स्थान है

आसन का उद्‍येश्य : आसनों का मुख्य उद्देश्य शरीर के मल का नाश करना है। शरीर से मल या दूषित विकारों के नष्ट हो जाने से शरीर व मन में स्थिरता का अविर्भाव होता है। शांति और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। अत: शरीर के स्वस्थ रहने पर मन और आत्मा में संतोष मिलता है।

योग से रोग और शोक का निदान

।।ॐ।।योगश्चित्तवृत्तिनिरोध:।।ॐ।।

योग से चित्त वृत्तियों का निरोध किया जा सकता है। चित्त में ही रोग और शोक उत्पन्न होते हैं जो शरीर, मन और मस्तिष्क को क्षतिग्रस्त कर देते हैं। सदा खुश और हंसमुख रहना जीवन की सबसे बड़ी सफलता होती है।

योगा से हेयर केयर

बालों समस्या अब आम हो चली है। इसका कारण शहर का प्रदूषण, धूल, धुवां और दूषित भोजन-पानी। इस सबके कारण सिर से लेकर पांव तक त्वचा रुखी हो जाती है। रुखी त्वचा से जहां, डैंड्रफ और बालों से संबंधित अन्य रोग होते हैं वहीं यह चर्म रोग का कारण भी बन सकता है।

हालांकि बाल झड़ने का एक और कारण है- तनाव और अन्य मानसिक परेशानियां। आओ हम जानते हैं कि योग इस सबसे छुटकारा दिलाने में हमारी क्या मदद कर सकता है।

दर्शन में योग का महत्व

भारतीय धर्म और दर्शन में योग का अत्यधिक महत्व है। आध्या‍त्मिक उन्नत‍ि या शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग की आवश्यकता व महत्व को प्राय: सभी दर्शनों एवं भारतीय धार्मिक सम्प्रदायों ने एकमत व मुक्तकंठ से स्वीकार किया है।

योग –एक वैज्ञानिक विवेचना

भारतीय दर्शन में मानव जीवन का लक्ष्य , धर्म, अर्थ, काम ,मोक्ष-ये चार पुरुषार्थ हैं, जिनमें अन्तिम लक्ष्य मोक्ष को परम पुरुषार्थ माना गया है। वेदिक व उपनिषदीय ज्ञान के अनुसार अन्तिम लक्ष्य अमृत प्राप्ति या मोक्ष है, यही वास्तविक मोक्ष है । योग शास्त्र के अनुसार ’ आत्मा का परमात्मा से मिलन’ ही योग है । जबकि गीता के अनुसार-’ योगः कर्मसु कौसलम”, प्रत्येक कर्म को कुशलता से, श्रेष्ठतम रूप से करना ही योग है। यही तो विज्ञान की मूल मान्यता है, वर्क इज़ वर्शिप’ ।

पवनमुक्तासन योग करने का तरीका

फर्श पर पेट के बल शवासन पोज़ में आराम से लेट जाइये।
अपने बाएं घुटने को मोड़िए और जितना संभव हो सके उसे पेट के पास तक ले आइये।
अब सांस छोड़ते हुए अपने दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसायें और घुटनों के नीचे रखिए और उनकी सहायता से अपने बाएं घुटने से सीने को छूने की कोशिश कीजिए।
इसके बाद अपना सिर जमीन से ऊपर उठाइये और घुटने से नाक से छूने की कोशिश कीजिए।
सिर को ऊपर उठाने और नाक को घुटनों से छूने के बाद 10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में बने रहिए और धीरे-धीरे सांस छोड़िये।
अब यही पूरी प्रक्रिया दाएं पैर से भी कीजिए और 3 से 5 बार इस मुद्रा को दोहराइये।
 

भुजंगासन क्या है

भुजंगासन दो शब्दों भुजंग और आसन से मिलकर बना है. अंग्रेजी में इस आसन को कोबरा पोज़ कहते हैं. इस योग में सांप की तरह अपने धड़ को आगे की दिशा में उठाकर रखना होता है. अगर आपको पेट संबंधी कोई भी समस्या है, तो रोज़ाना भुजंगासन करें.

नौकासन योग करने का तरीका

नवासना योग करने के लिए आप एक योगा मैट को बिछा के अपने दोनों पैरों को अपने सामने सीधा कर के बैठ जाएं या दंडासन में बैठे।
अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें और अपने दोनों हाथों को भी सीधा जमीन पर रखें।
अब अपने दोनों पैरों को सीधा रखें हुए ऊपर उठायें।
अगर आपको को उठाते समय संतुलन बनाने में कठिनाई होती हैं और आप संतुलन नहीं बना पा रखें हैं तो आप अपने दोनों पैरों को पास-पास रखें और घुटनों के यहाँ से मोड़ लें।
अपने दोनों हाथों से जांघों से पकड़े और पैरों को सहारा दें।
अब अपने दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर सीधे करते जाएं।

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