सूर्य नमस्कार योगासन एवं प्राणायाम दोनों का ही संख्यात्मक अभ्यास है |

अभ्यासक्रम में यह शिथिलीकरण व्यायाम एवं योगासन के मध्य में आता है | तथा योगासन एवं प्राणायाम का अभ्यास करने के लिए हमारे शरीर को तैयार करता है |

सूर्य नमस्कार सूर्योदय एवं सूर्यास्त दोनों ही समय में सूर्य देव की ओर मुख करके किया जा सकता है|  शरीर तथा मन को स्वस्थ रहना हमारी प्राथमिक आवश्यकता है राग द्वेष भय एवं तनाव के कारण मानसिक रोगी होने से हमारी दिनचर्या बिगड़ जाती है पर्याप्त आराम ना मिलना दूषित खाना पीना ठीक से निद्रा ना आने के कारण इनका गंभीर प्रभाव हमारे सरीर पर पड़ता है साथ ही शरीर में प्राण शक्ति का प्रभावी अव्यवस्थित हो जाता है जिससे हमारा असंतुलन तथा मानसिक शांति भंग हो जाती है| शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ ना रहने पर इसका सीधा प्रभाव हमारे निर्णय करने की क्षमता पर पड़ता है| जिससे हमारी बुद्धि भी ठीक से कार्य नहीं कर पाती है शरीर मन तथा बुद्धि तीनों में संतुलन बना रहे इसके लिए हमें शक्ति तथा शांति की आवश्यकता होती है संपूर्ण ब्रह्मांड में सूर्य देवी शक्ति का महान केंद्र हैं जिससे समस्त जगत प्रकाशित होता है हमारा उद्देश्य होना चाहिए कि सूर्य की शक्ति को अधिक से अधिक मात्रा में अपने अंदर धारण कर सके इसके लिए नमस्कार ही श्रेष्ठतम अभ्यास एवं साधन है|

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