सद्‌गुरु: इस पूरी धरती पर ज्यादातर लोग योग को ‘आसन’ समझ बैठते हैं। योग विज्ञान ने जीवन से जुड़े तकरीबन हर पहलू के बारे में तमाम तरह की बातें उजागर की हैं, लेकिन आज दुनिया योग के सिर्फ शारीरिक पहलू को ही जानती है। जबकि योगिक पद्धति में आसनों को बहुत कम महत्व दिया गया है। दो सौ से भी अधिक योग सूत्रों में से मात्र एक सूत्र आसनों के लिए है। लेकिन किसी तरीके से यही एक सूत्र आजकलं खासी अहमियत पा रहा है।

दूसरी तरह से देखा जाए तो यह इस बात का इशारा है कि आज दुनिया किस रास्ते पर जा रही है। दुनिया में जीवन की गति की दिशा साफ है, वह गहरे आयामों यानी आत्मा से शरीर की ओर जा रही है। जबकि हम इसी दिशा को पलट देना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि व्यक्ति अपनी यात्रा शरीर से शुरू करके अपने अंतःकरण यानी भीतर की ओर बढ़े।

मैं दुखी या उदास नहीं हो पाता, वरना दुनियाभर में हठ योग का जिस तरीके से अभ्यास किया जा रहा है और जिस तरह लोग इसके बारे में सोच रहे हैं उसे देखते हुए मुझे निराश हो कर बैठ जाना चाहिए था। ऊपरी तौर पर देखकर लगता है कि योग शरीर से जुड़ी एक तकनीक मात्र है। लेकिन सच यह है कि जब तक आप सांसों में जीवन को महसूस नहीं करेंगे, यह एक जीवंत क्रिया नहीं बन पाएगी। इसीलिए योग में एक जीवित गुरु के होने की परंपरा पर बेहद जोर दिया गया है, ताकि यह क्रिया जीवंत हो सके। योगिक पद्धति दरअसल आपके सिस्टम के साथ किया जाने वाला एक ऐसा सूक्षम छेड़छाड़ है, जो इसे एक अलग धरातल पर ले जाता है। योग का मतलब है, जो आपकी प्रकृति को एक उंचाई तक पहुंचाए। योग का हर आसन, हर मुद्रा और हर सांस यानी सब कुछ इसी उद्देश्य पर केंद्रित है

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योग से जुड़ी सात भ्रांतियां