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प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा : कनिष्ठिका और अनामिका (सबसे छोटी तथा उसके पास वाली) उंगलियों के सिरों को अंगूठे के सिरे से मिलाने पर प्राण मुद्रा बनती है| शेष दो उंगलियां सीधी रहती हैं| प्राण मुद्रा एक अत्यधिक महत्वूर्ण मुद्रा है| रहस्यमय है जिसके संबंध में ऋषि-मुनियों ने अनन्तकाल तक तप, स्वाध्याय एवं आत्मसाधना करते हुए कई महत्वपूर्ण अनुसंधान किए हैं| इसका अभ्यास प्रारंभ करते ही मानो शरीर में प्राण शक्ति को तीव्रता से उत्पन्न करनेवाला डायनमो चलने लगता है| फिर ज्यों-ज्यों प्राण शक्ति रूपी बिजली शरीर की बैटरी को चार्ज करने लगता है, त्यों-त्यों चेतना का अनुभव होने लगता है| प्राण शक्ति का संचार करनेवाली इस मुद्रा के अभ्यास से व्यक्ति शारीरिक व मानसिक दृष्टि से शक्तिशाली बन जाता है|
ह्रदय रोग में रामबाण तथा नेत्रज्योति बढाने में यह मुद्रा परम सहायक है.साथ ही यह प्राण शक्ति बढ़ाने वाला भी होता है.प्राण शक्ति प्रबल होने पर मनुष्य के लिए किसी भी प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्यवान रहना अत्यंत सहज हो जाता है.वस्तुतः दृढ प्राण शक्ति ही जीवन को सुखद बनाती है..इस मुद्रा की विशेषता यह है कि इसके लिए अवधि की कोई बाध्यता नहीं..इसे कुछ मिनट भी किया जा सकता है.

प्राण मुद्रा -सर्वप्रथम वज्रासन / पद्मासन या सुखासन में बैठ जाइए।
अब छोटी उंगली (कनिष्ठा) व अनामिका को मिलाकर उसके अग्र भाग को अंगूठे से स्पर्श कीजिए ।अन्य दो उंगलियों को सीधा रखिए।
हाथों को घुटनो पर रखिए हथेलियों को आकाश की तरफ रखेंगे।
आँखे बंद रखते हुए श्वांस सामान्य बनाएँगे।
अपने मन को अपनी श्वांस गति पर केंद्रित रखिए।

प्राण मुद्रा करने की लाभ-

  1. प्राण उर्जा के स्तर को .बड़ाकर मानसिक रूप व बौध्हिक रूप से स्वस्थ रखती है
  2. नेत्र ज्योति में बहुत लाभप्रद
  3. मानसिक शांति देती है
  4. रक्तचाप को नियंत्रित कर दिल को मजबूत करती है
  5. विधयार्थीयो के लिए बहुत लाभप्रद
  6. मन की एकाग्रता बड़ती है
  7. किसी भी प्रकार की कमज़ोरी में जवर्दस्त लाभ

प्राण मुद्रा करने की विधि :

  1. पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएँ | रीढ़ की हड्डी सीधी रखें |
  2. अपने दोनों हाथों को घुटनों पर रख लें,हथेलियाँ ऊपर की तरफ रहें |
  3. हाथ की सबसे छोटी अंगुली (कनिष्ठा) एवं इसके बगल वाली अंगुली (अनामिका) के पोर को अंगूठे के पोर से लगा दें |

प्राण मुद्रा करने की सावधानियां :

  1. प्राणमुद्रा से प्राणशक्ति बढती है यह शक्ति इन्द्रिय, मन और भावों के उचित उपयोग से धार्मिक बनती है। परन्तु यदि इसका सही उपयोग न किया जाए तो यही शक्ति इन्द्रियों को आसक्ति, मन को अशांति और भावों को बुरी तरफ भी ले जा सकती है। इसलिए प्राणमुद्रा से बढ़ने वाली प्राणशक्ति का संतुलन बनाकर रखना चाहिए।

मुद्रा करने का समय व अवधि :

  • प्राणमुद्रा को एक दिन में अधिकतम 48 मिनट तक किया जा सकता है।
  • यदि एक बार में 48 मिनट तक करना संभव न हो तो प्रातः,दोपहर एवं सायं 16-16 मिनट कर सकते है।

प्राण मुद्रा करने की चिकित्सकीय लाभ :

  1. प्राणमुद्रा ह्रदय रोग में रामबाण है एवं नेत्रज्योति बढाने में यह मुद्रा बहुत सहायक है।
  2. इस मुद्रा के निरंतर अभ्यास से प्राण शक्ति की कमी दूर होकर व्यक्ति तेजस्वी बनता है।
  3. प्राणमुद्रा से लकवा रोग के कारण आई कमजोरी दूर होकर शरीर शक्तिशाली बनता है |
  4. इस मुद्रा के निरंतर अभ्यास से मन की बैचेनी और कठोरता को दूर होती है एवं एकाग्रता बढ़ती है।

प्राण मुद्रा करने की आध्यात्मिक लाभ :

  1. प्राणमुद्रा को पद्मासन या सिद्धासन में बैठकर करने से शक्ति जागृत होकर ऊर्ध्वमुखी हो जाती है, जिससे चक्र जाग्रत होते हैं एवं साधक अलौकिक शक्तियों से युक्त हो जाता है ।
  2. प्राणमुद्रा में जल,पृथ्वी एवं अग्नि तत्व एक साथ मिलने से शरीर में रासायनिक परिवर्तन होता है जिससे व्यक्तित्व का विकास होता है।

Comments

Pooja Tue, 30/Mar/2021 - 12:38

प्राण मुद्रा का अभ्यास अगर लंबे समय तक किया जाए तो ये शरीर में इंसुलिन के स्तर को बैलेंस करने का काम करता है। इतना ही नहीं प्राण मुद्रा का ये अभ्यास दिल से लेकर गले तक के रोगों के लिए भी खूब फायदेमंद होता है। प्राण मुद्रा का ये अभ्यास भूख और प्यास को भी नियंत्रित करने का काम करता है। इस अभ्यास से प्रतिरोधक क्षमता भी मजबूत होती है। तन-मन की दुर्बलता, थकान और नस-नाड़ियों की पीड़ा को दूर करने में में यह मुद्रा खास तौर से उपयोगी है, क्योंकि इससे रक्त शुद्ध होता है। रक्त वाहिनियों के अवरोध भी दूर होते हैं। इस मुद्रा से मानसिक एकाग्रता भी बढ़ती है। तो अगरर आपकी आंखों की रोशनी कम हो रही है या फिर देर तक कंप्यूटर और टीवी को देखने से आंखों में जलन होता है या आंखें थक जाती हैं, तो प्राण मुद्रा करना फायदेमंद होगा। यह नेत्र रोगों में विशेष लाभकारी है। इसके अभ्यास से दृष्टि दोष दूर होता है।

Pooja Tue, 30/Mar/2021 - 12:38
  • प्राण मुद्रा से आँखों की रौशनी बढती है साथ ही साथआँखों से जुड़ी कई परेशानियां भी दूर होती है।
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने से कई परेशानिया जैसे की बार बार -बार सर्दी-जुकाम होना, बुखार आना होती है| इसके अभ्यास से आपका प्रतिरोधक तंत्र मजबूत बनता है|
  • जिन महिलाओ को मासिक धर्म के दौरान बहुत दर्द होता है उन्हें इसे करने से फायदा मिलता है|
  • जिन लोगो की सहनशीलता कम होती है और लगातार थकान बनी रहती है, उन्हें इस मुद्रा को करने से ताकत मिलती है|
  • यह त्वचा के रोगों को भी ठीक करता है| इससे लाल त्वचा, त्वचा पर चकत्ते, पित्ती आदि रोग ठीक होते है|
  • उच्च रक्तचाप के मरीजो के लिए भी यह आसन लाभदायक है|
  • यदि आपको छोटी छोटी बात पर क्रोध आता है और चिड़चिड़ापन महसूस होता है तो इसे करने से इन सभी चीजों में कमी आती है|
  • अन्य समस्याए जिसमे प्राण मुद्रा को करने से फायदा मिलता है:-